lekhak Pandit vijay upraity
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मन की आंखों से मुझ को निहारो प्रिय
मन की आंखों से मुझ को निहारो प्रिय, ज़िन्दगी भर का साथी बना लो प्रिय. गैर तो मैं,नहीं हूँ,तुम्हारा ही हूँ, मुझ को अपने रिदै से,लगा लो प्रिय. स्वरचित
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